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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
(14) जाप का संकल्प.......जापस्य संकल्पं कुर्मः निर्विघ्नं समाप्तिर्भवतु अहँ नमः स्वाहा। (15) मौन गृहण मंत्र- ॐ ह्रीं अहँ यूं मौन स्थिर्थम् मौन व्रतं गृहणामि। (प्र.र.१११) (16) मंत्र का उत्कीलन मंत्र -पहले सकलीकरण करें फिर किसी भी मंत्र का
उत्कीलन करें। ध्यान : पंच परमेष्ठी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र पढ़ें- ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं सर्व मंत्र
तंत्र-यन्त्रादि नाम उत्कीलन स्वाहा। मूल मंत्र प्रथम :- ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं षट पंचाक्षराणा मुत्कीलय उत्कीलय स्वाहा। द्वितीय :- ॐ जूं सर्व मन्त्र-तन्त्र मन्त्राणां संजीवन कुरु कुरु स्वाहा। तृतीय :- ॐ ह्रीं जूं अं आं इ ई उ ऊ ऋ कंठें लूं ए ऐ ओं औं अं अः
कं खं गं घं डं, चं छं जं झं जं, टं ठं डं ढं णं, तं थं दं धं नं, पं फं बं भं मं, यं रं लं वं, शं सं षं हं क्षं मात्रक्षराणं सर्वम् उत्कीलनं कुरु स्वाहा। ॐ सो हं हं सो हं (११ बार) ॐ जूं सों हं हं सः ॐ ॐ (११ बार) ॐ हं जूं हं सं गं (११ बार) सो हं हं सो यं (११ बार) लं (११ बार)
ॐ (११ बार) यं (११ बार)। चतुर्थ : ॐ ह्रीं मन्त्राक्षराणां उत्कीलय उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा। पंचम : ॐ ह्रीं जूं सर्व मन्त्र तन्त्र यन्त्र स्तोत्र कवचादीनां संजीवय संजीवय कुरु कुरु स्वाहा।
__(17) मंत्र प्राण प्रतिष्ठा मंत्र मंत्र प्राण प्रतिष्ठा मंत्र :-ॐ ह्रीं क्रों अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल ल ए ऐ ओ औ अं अः
मल्ल्यूँ ठम्ल्यूँ नमः परमात्मने ॐ हं सः क ख ग घ ङ ॐ हाँ णमो अरहंताणं म्यूँ देवदत्ताणं - प्राणाः च छ ज झ ञ ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं फम्ल्यूँ जल देवतायां x प्राणा: ट ठ ड ढ ण ॐ हूँ णमो आइरियाणं यल्ल्यूँ अग्नि देवताणां x प्राणाः त थ द ध न ॐ ह्रौं णमो उवज्झायाणं रम्ल्यूँ वायु देवतायां x प्राणाः प फ ब भ म ॐ ह्रः णमो लोए सव्वसाहूणं म्ल्यूँ आकाश देवतायां x प्राणाः य र ल व, श स ष ह क्ष, ॐ णमो अरहंत केवलिणो इम्ल्यूँ अनंतदेवतायां - प्राणाः इह स्थिता सर्व यंत्र, मंत्र, तंत्र रूपेण दिव्य देहाय सप्त धातु रूप कायेन्द्रियाणि देवदत्तस्य x काय वाङ्मनश्चक्षु श्रोत घ्राण जिव्हेन्द्रियाणि सुरुचिरं सुखं चिरं तिष्ठंतु स्वाहाः ।
नोट- (x) ऐसे निशान पर मंत्र का नाम उच्चारण करें।
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