________________
मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
टन वश्य
उच्चाटन वायव्य अपराह्न
शान
मुद्रा
वज्र
खड्ग
वज्रासन
स्वधा
धूम
काले
श्वेत
वर्ण
पीत
धूम गूढ़ धूम्र समस्त आद्यंत गर्भित
अष्टकर्मों के जप में दिशादि का चार्टनं. कर्म स्तंभन विद्वेषण आकर्षण पौष्टिक शांतिक १. दिशा पूर्व
आग्नेय दक्षिण नैऋत्य पश्चिम समय पूर्वाह्न मध्याह्न पूर्वाह्न अंतरात्रि मध्य रात्रि
गदा मूशल पाश कमल ज्ञानमुद्रा ४. आसन विकटासन कुर्कुटासन दंडासन पद्मासन पद्मासन पल्लव ठः ठः
वौषट्
स्वाहा ६. वस्त्र पीत
उदयार्क श्वेत श्वेत पुष्प पीत
अरुण
श्वेत
उदयार्क श्वेत श्वेत विन्यास आक्रांत पाद्यांत ग्रंथित संपुट श्वेत गर्भित रोधन
सर्वतो मुख विदर्भ
ग्रसित १०. प्राणायाम कुंभक रेचक पूरक पूरक पूरक ११. माला नीम के फल रीठे के फल कमल के बीज - १२. मणियें स्वर्ण पुत्रजीवि मूंगा मोती स्फटिक १३. अंगुली कनिष्ठा अंगुष्ठा तर्जनी कनिष्ठा मध्यमा मध्यमा १४. हाथ दक्षिण दक्षिण वाम दक्षिण दक्षिण १५. स्वर दक्षिण
वाम वाम नं. कर्म स्तंभन विद्वेषण आकर्षण पौष्टिक शांतिक १६. ऋतु
ग्रीष्म बसंत हेमन्त शरद् १७. मण्डल
वायु
जल जल १८. योग
चर स्थिर पूरक पूरक १९. करण -
वव, बालव
कौलव २०. दानोंकीसंख्या १५
१०८ १०८ १०८ २१. दिवस रवि, शनि शुक्र, शनि
रवि, शनि बुध, गुरु मंगल
मंगल - २२. पक्ष कृष्ण
कृष्ण शुक्ल २३. तिथि अष्टमी, पूर्णा ८,९,१०,११
४,८,९,१४ २,३,५,७ अमावस्या २४. नक्षत्र अश्विनी, वैवाहिक पुष्य, उत्तरा
आश्ले.मघा-ज्येष्ठा
मारण उत्तर पर्वाह्न संध्या पाश स्वस्तिकासन भद्रासन वषट् अरुण रक्त काले रक्त कृष्ण मन्थन सस्त आर्चत गर्भित गर्भित पल्लव विदर्भित पूरक रेचक कमल के बीज - मूंगा पुत्रजीवी अनामिका तर्जनी वाम दक्षिण वाम वश्य मारण बसन्त शिशिर जल अग्नि स्थिर
रेचक
दक्षिण
वाम
दक्षिण
पुत्रजीवि तर्जनी दक्षिण दक्षिण उच्चाटन वर्षा वायु चर
बसंत पृथ्वी
अग्नि
१५ ।। शनि
गुरु, सोम
रवि, शनि,
मंगल
शुक्ल
कृष्ण
कृष्ण ८,१४
वैनाशिक
पुष्य,उत्तरा
वैनाशिक
___ मूला, रेवती
सिंह
वृश्चिक
२५. लग्न २६. तत्त्वोदय २७. अक्षर - ल
वृश्चिक पृथ्वी पृथ्वी बीज ह
आकाश अग्नि आकाश बीज जलबीज व स
जल चंद्रबीज स
वृश्चिक वायु वायुबीज व
- अग्नि जलबीज र
अग्निबीज
य
91