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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
माला, शत्रु उच्चाटन के लिए रुद्राक्ष की माला से जाप करना चाहिए तथा सर्व कार्य सिद्धि के लिए पंच वर्ण पुष्पों की माला तथा सदा सुख देने वाली सूत की माला होती है।
___माला का फल- अंगुलियों से जाप की गणना करने में एक गुना फल मिलता है, रेखा से जप की गणना करने पर आठ गुना, पुत्रजीवक के बीज की माला से दस गुना, शंख की माला से सौ गुना, आँवले की माला से पाँच सौ गुना, मूंगे की माला से हजार गुना, लौंग की माला से पाँच हजार गुना, स्फटिक की माला से दस हजार गुना, मोती की माला से लाख गुना, पद्याक्ष (कमल बीज) की माला से दस लाख गुना, सोने की माला से करोड़ गुना फल मिलता है। लेकिन माला के साथ-साथ भावों की शुद्धि भी अनिवार्य है। सूत की माला सदा सुख देने वाली होती है।
मंत्र जाप निषेध १. नग्न होकर जप नहीं करना चाहिए। २. सिले हुए वस्त्र पहन कर जप नहीं करना चाहिए ३. शरीर व हाथ अपवित्र हों तो जप नहीं करना चाहिए। ४. मस्तक के बाल खुले रखकर जप नहीं करना चाहिए।
आसन बिछाये बिना जाप नहीं करना चाहिए। ६. बातें करते हुए जप नहीं करना चाहिए। मस्तक को ढ़ककर जप करना चाहिए। ७. अन्य मनुष्यों की उपस्थिति में जाप नहीं करनी चाहिए।
अस्थिर चित्त से जप नहीं करना चाहिए।
रास्ते चलते हुए या रास्ते में बैठकर जप नहीं करना चाहिए। १०. भोजन करते समय जप नहीं करना चाहिए। ११. निद्रा लेते समय जप नहीं करना चाहिए।
उल्टे-सीधे बैठकर या पैर फैलाकर अथवा लेटकर जाप नहीं करना चाहिए १३. भयभीत अवस्था में जाप नहीं करना चाहिए। १४. अंधकार वाले स्थान में जाप नहीं करना चाहिए। १५. अशुद्ध व अशुचि युक्त स्थान में जाप नहीं करना चाहिए। १६. जाप करते समय छींक नहीं लेनी चाहिए, खंखारना नहीं चाहिए, थूकना नहीं
चाहिए तथा नीचे के अंगों का स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। १७. मन में बुरे-विचार आते समय जप नहीं करना चाहिए। विक्षिप्त अवस्था में जाप
नहीं करना चाहिए।
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