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मंत्र अधिकार
मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
माला विधान स्फटिक, मोती, चांदी, सोना, मूंगा, पोत, रेशम, कमलबीज, सूत ये नौं प्रकार की माला श्रेष्ठ हैं और अग्नि द्वारा पकी हुई मिट्टी, हड्डी, लकड़ी और रुद्राक्ष आदि की मालाएं कुछ फल देने वाली नहीं हैं, ये मालाएं अयोग्य हैं, ग्रहण करने योग्य नहीं हैं। (चर्चा सा. पृ. २४)
___ माला बनाने में धागा का उपयोग- सफेद रंग का धागा पौष्टिक शान्ति कारक, लाल रंग का धागा आकर्षण वशीकरण में, पीले रंग का धागा स्तंभन में और काले रंग का धागा मारण आदि कार्य में प्रयुक्त किया जाता है।
माला का उपयोग- वशीकरण व आकर्षण में मूंगे या लाल चंदन की माला, स्तंभन कर्म में सुवर्ण की माला, शान्ति कर्म में स्फटिक की माला, पौष्टिक कर्म में मोती की माला, मारण-विद्वेषण व उच्चाटन कर्म में पुत्रजीवा की माला, व्यवहार में लेना चाहिए।
माला में मड़िकों का महत्व- मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तंभन, वशीकरण आदि में १५ मनकों की माला, मोक्ष प्राप्ति व अभिचार कर्म में २५ मनकों की माला, मोक्ष सिद्धि के लिए, प्रिय प्राप्ति के लिए तथा समस्त सिद्धि के लिए ५४ व १०८ मनकों की माला तथा पुष्टि व धन के लिए ३० मनकों की माला श्रेष्ठ मानी गयी है। माला-निर्देश १. माला दाहिने हाथ में ही रखनी चाहिए। २. माला पृथ्वी पर नहीं गिरनी चाहिए तथा उस पर धूल व गर्द नहीं जमनी चाहिए । ३. माला अंगूठे पर रख कर मध्यमा या अनामिका अंगुली से फेरनी चाहिए
मनकों (दानों) में नाखून नहीं लगाना चाहिए। ५. माला में जो सुमेरु होता है, उसे लांघना नहीं चाहिए। यदि और आगे अधिकमाला
फेरनी हो तो माला को वापस बदल लेना चाहिए। माला फेरते वक्त जमीन पर नहीं छूना चाहिए। माला जपने के पूर्व माला की शुद्धि अवश्य कर लेनी चाहिए। पहले पंचामृत से अभिषेक के जल में धोकर एक प्लेट में रख लें फिर निम्न मंत्र
को ७ बार बोलकर पुष्प चढ़ाएं तथा बाद में मस्तक पर लगाकर उपयोग में लें। मंत्र- ॐ ह्रीं रत्नैः सुवर्णै।जैर्या रचिता जप मालिका, सर्व जपेषु सर्वाणि वाञ्छितानि प्रयच्छतु।
माला विधान प्रकारान्तर से- पुत्र प्राप्ति के लिए मोती की माला, स्तम्भन विधि के लिए, रोग शान्ति के लिए, दुष्ट या व्यंतर देवों के उपद्रव दूर के लिए कमल बीज या मोती की
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