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मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
का जाप वा ध्यान-इहलौकिक वा पारलौकिक सुखशांति देने वाला है। इस मंत्र की साधना से साधक संसार सागर से पार होकर सिद्धावस्था को प्राप्त कर सकता है।
णमो अरहंताणं तिलोय-पुज्जो य संधुओ भयवं।
अमर-नरराय-महिओ, अणाई-निहाणां सिवं दिसउ॥ अर्थात्- उन अर्हन्तों को नमस्कार हो, जो त्रिलोक द्वारा पूज्य, और अच्छी तरह स्तुत्य हैं तथा इन्द्र और राजाओं द्वारा वन्दित हैं, और जो जन्ममरण से रहित हैं, वे हमें मोक्ष प्रदान करें।
अरहंत वंदण नमसणशणि, अरहंत पूयसक्कारं।
सिद्धिगमणं च अरहा, अरहंता तेण बुच्चंति ॥ जो वंदन और नमस्कार के योग्य हैं। जो पूजा, सत्कार, सिद्धिगमन के योग्य हैं, उन्हें अरहंत कहते हैं। अरहंत सर्वोच्च सामर्थ्य को धारण करने वाले हैं। जगत की समस्त अर्हतओं में उनका स्थान सर्वोच्च है, फिर चाहे वह ज्ञानबल हो, रूपबल हो, धनबल हो, सामर्थ्यबल हो, उनके तुल्य दूसरा कोई नहीं हो सकता।
कपिल पाटनी सोनकच्छ
विश सूचना - यह पुस्तक उनके लिए है जो मंत्रों आदि पर पूर्ण श्रद्धा,(विश्वास)रखते हैं। उ यह पुस्तक उनके लिए हैं जो देव शास्त्र गुरु पर पूर्ण आस्था रखते हैं। 3 यह पुस्तक उनके लिए हैं जो अपाय विचय धर्म ध्यानी साधक हैं। से यह पुस्तक उनके लिए हैं जो किसी भी प्रकार से दुखी परेशान हैं,
अथवा किसी दुखी परेशान व्यक्ति के दुखों को दूर करना चाहते हैं। - यह पुस्तक उनके लिए हैं जो जीवन में सुख शान्ति समृद्धि चाहते है।
यदि आपमें इनमें से कोई भी बात लागू होती है तो आप पुस्तक को पढ़ें...आप का स्वागत हैं, अन्यथा आप पुस्तक को बन्द कर दें,पुस्तक को ना पढ़ें, यह पुस्तक आप के लिए नही हैं।
____ मुनि प्रार्थना साना
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