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मंत्र यंत्र और तंत्र
मुनि प्रार्थना सागर
शुभाशुभ अवसरों पर हवन-पूजन आदि के लिए प्रयुक्त होने वाले समस्त मन्त्रों की उत्पत्ति णमोकार महामंत्र से हुई है। इस महामन्त्र की ध्वनियों के संयोग, वियोग, विश्लेषण और संश्लेषण के द्वारा ही मन्त्र शास्त्रों की उत्पत्ति हुई है।
प्रवचन-सरोद्धार की वृत्ति लिखा में है- यह णमोकार मंत्र सभी मंत्रों की उत्पत्ति के लिए समुद्र के समान है। जिस प्रकार समुद्र से अनेक मूल्यवान् रत्न उत्पन्न होते हैं, उसी प्रकार इस महामंत्र से अनेक उपयोगी और शक्तिशाली मन्त्र उत्पन्न हुए हैं। यह मन्त्रकल्पवृक्ष है, इसकी आराधना से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मन्त्र से विष, सर्प, शाकिनी, डाकिनी, भूत, पिशाच, यक्ष, राक्षस आदि सब वश में हो जाते हैं। यह मन्त्र ग्यारह अंग और चौदह पूर्व का सारभूत है। मन्त्रों के आचार्यों ने इसे वश्य, आकर्षण आदि नौ भागों में विभक्त किया है। ये नौ प्रकार के मन्त्र इसी महामन्त्र से निष्पन्न हुए हैं। क्योंकि उन मन्त्रों के रूप इस मन्त्रोक्त वर्णों या ध्वनियों से ही निष्पन्न हुए हैं। सभी मन्त्रों के प्राण बीजाक्षर इसी मन्त्र से निःसृत हैं इसी महामंत्र से सभी मंत्रों का विकास और निकास हुआ है अतः यह महामंत्र महासमुद्र है।
णमोकारादि मंत्र संग्रह ग्रंथों में बताया गया है कि इस महामंत्र के एक-एक पद का जाप करने से नवग्रहों की बाधा शान्त होती है। “ॐ णमो सिद्धाणं" के दस हजार जाप से सूर्य ग्रह की पीड़ा दूर होती है। “ॐ णमो अरिहंताणं" के दस हजार जाप से चन्द्रग्रह की पीड़ा, “ॐ णमो सिद्धाणं" के दस हजार जाप से मंगलग्रह की पीड़ा, “ॐ णमो उवज्झायाणं" के दस हजार जाप से बुधग्रह की पीड़ा, “ॐ णमो आइरियाणं" के दस हजार जाप से गुरु ग्रह की पीड़ा, “ॐ णमो अरिहंताणं" के दस हजार जाप से शुक्रग्रह की पीड़ा और “ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं" के दस हजार जाप से शनि ग्रह की पीड़ा दूर होती है। राहु ग्रह की पीड़ा शान्ति के लिए समस्त णमोकार मंत्र की जाप "ॐ" जोड़कर अथवा “ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं" मंत्र की ग्यारह हजार जाप तथा केतु ग्रह की पीड़ा शांति के लिए "ॐ" जोड़कर समस्त णमोकार मंत्र का जाप या “ॐ णमो सिद्धाणं" पद का ग्यारह हजार जाप करना चाहिए। भूत, पिशाच और व्यन्तर की बाधा को दूर
__भूत, पिशाच और व्यन्तर की बाधा को दूर करने के लिए निम्न प्रकार २१००० जाप करना चाहिए। इक्कीस हजार जाप करने के उपरान्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है। फिर सिद्ध हो जाने के बाद ९ बार पढ़कर झाड़ देने से व्यन्तर बाधा दूर हो जाती है। मन्त्र यह है
मंत्र :-ॐ णमो अरिहंताणं, ॐ णमो सिद्धाणं, ॐ णमो आइरियाणं, ॐ णमो उवज्झायाणं, ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं, सर्व दुष्टान् स्तम्भय-स्तम्भय मोहय-मोहय अन्धय-अन्धय-मूकवत्कराय कराय ह्रीं दुष्टान् ठः ठः ठः।।
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