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भारत का यूरोप में ज्यादा बिक नहीं सकता- अमेरिका में ज्यादा बिक नहीं सकता। क्योंकि उस पर उन्होंने क्वान्टिटेटिव रिस्ट्रिक्शन के कानून लगा रखे हैं। कोटा फिक्स कर रखा है। भारत का कपास एक निश्चित मात्रा में ही बिकता है अमेरिका में। उससे ज्यादा बिक नहीं सकता। इसी तरह से भारत का कपास यूरोप में भी एक निश्चित मात्रा में ही बिकता है। उससे ज्यादा कभी बिक नहीं सकता।
तो भारत का कपास कभी बिक सकता था अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में ज्यादा मात्रा में वो बिक नहीं पायेगा। क्योंकि उन्होंने कोटा फिक्स कर के रखा है। इससे ज्यादा कपास हम बेच नहीं सकते अपना उनके बाजार में। और उनके माल हमारे बाजार में भर जायेगें। क्योंकि इस तरह के कानून हैं। हमको इम्पोर्ट करना ही पड़ेगा। जबरदस्ती तो हमारा माल वोखरीदेगें नहीं और हमारामालतो वहाँ बिक नहीं पायेगा ठीक से और उनका माल जबरदस्ती हम खरीदते चले जायेगें। तो निश्चित रूप से निर्यात की आमदनी हमारी कम होगी। आयात के खर्चे बढ़ जायेगें। और निर्यात की आमदनी कम और आयात के खर्चे बढ़ेगेंतो व्यापार घाटा बढ़ेगा। तो सरकार दुष्चक्र में फंसेगी। परदेशी कर्ज लेने से परदेशी कर्जे के दुष्चक्र में फंसगेंतो परेदशी कर्जे का व्याज भी देना पड़ेगा। और वही दुष्चक्र इस अर्थव्यवस्था का किसानों के उपर भी चलना शुरु हो जायेगा।
ऐसा नुकसान इस देश के किसानों को होने वाला है। और यहनुकसान शुरु हो गए गैट करार के लागू होने से। इसी तरह का एक भयंकर नुकसान और हो जायेगा इस देश के किसानों को। जो इससे भी भयंकर नुकसान इस देश में किसान को होने वाला हैगैट करार के माध्यम से। उसके बारे में भी मैं पढ़कर सुनाना चाहता हूँ। हमारे देश में अभी तक एक ऐसा नियम है कि किसान बीज बनाने का अधिकार अपने पास रख सकता है और इस देश का किसान बीज से बीज बनाता है। आप मान लीजीए गेहूँ की फसल लगाते हो तो गेहूँ की फसल लगाने के लिए आप बीज डालते हो तो गेहूँ की फसल लगती है। उस फसल का एक हिस्सा खाने के लिए रखते हो और एक हिस्सा बीज के रुप में सुरक्षित रखते हो। और अगले साल आपको फिर बीज मिल जाता है। माने एक बीज लगाया आपने फिर उसी बीज से दूसरा बीज बनाओ फिर उसी बीज से तीसरा बीज बनाओ। बीज से बीज बनता रहता है
और किसान सीड मल्टीप्लीकेशन करता रहता है। माने हर बार किसान को नया बीज खरीदने की जरुरत नहीं। ऐसी व्यवस्था है इस देश में।
इस समय एक नियम भी है हमारे देश में कि बीज जैसी चीज पर किसी का पेटेन्ट नहीं होता भारत में। हमारे यहाँ 1970 में एक ऐसा पेटेन्ट कानून बनाया गया है, जिस पेटेन्ट कानून में ऍग्रीकल्चर सेक्टर से सम्बन्धित बहुत सारी चीजों पर पेटेन्ट
स्वदेशी कृषि
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