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________________ चावल भी मिलेगा। अब इम्पोर्टेड शक्कर भी मिलेगी इस देश के लोग इम्पोर्टेड ही खरीदेगें। तो फिर इस देश के किसान का कौन खरीदेगा। और इस देश के किसान का नहीं खरीदेगा तो किसान तो मरेगा। मैंने आपको बताया कि 45 करोड़ किसान इस देश में बहुत छोटे किसान हैं। उनकी हालत तो बुरी तरह से खराब हो गई और इसी तरह से इस गैट करार में एक और ऐसा नियम है कि हमारे देश के किसानों को थोड़ी बहुत सब्सिडी दी जाती है। उसमें भी कटौती करनी पड़ेगी। किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में करीब 24 टक्का कटौती करनी पड़ेगी। और किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में 24 टक्का कटौती करीब-करीब हो भी चुकी है। उसका नतीजा क्या निकला है। किसानों को जो डायरेक्ट सब्सिडी दी जाती है। दो तरह की सब्सिडी दी जाती है किसानों को। एक तो इनडायरेक्ट सब्सिडी होती है एक डायरेक्ट सब्सिडी होती है। तो डायरेक्ट सब्सिडी जब खत्म कर दी सरकार ने तो खाद का दाम बढ़ गया। बीज का दाम बढ़ गया। बिजली का दाम बढ़ गया। पानी का दाम बढ़ गया। केमिकल्स फर्टीलाईजर, इनसेक्टीसाइड इन सबके दाम बढ़ गए। और इन सबके दाम बढ़ गए माने खेती मंहगी हो गई और दुर्भाग्य दूसरा क्या है कि गाँव का किसान खेती मंहगी करे। माल बाजार में बेचने के लिए जाए तो परदेशी माल आ जाए तोदाम गिर जाए नीचे। तो किसान को दोहरानुकसान। कि जो नियम कभी हिन्दुस्तान में अंग्रेजों ने चलाए थे। जो नियम कभी अंग्रेजों के जमाने में चलाए गये थे। उसी तरह के नियम अब इस देश में गैट करार के माध्यम से चलाने की कोशिश की जा रही है। ___ इसमें कुछ लोगों को ऐसा लगता था कि कुछ चीजो में हमको फायदा हो जायेगा। जैसे सब्सिडी में एक्सपोर्ट की कटौती हो जायेगी। बहुत सारे देश जो एक्सपोर्ट की सब्सिडी देते हैं। वो भी कम हो जायेगें तो भारत के किसान के पास कुछ चीजें ऐसी हैं जिनको वो अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेच सकेगा। जैसे हमारे किसान को सबसे ज्यादा उम्मीद यह थी कि कपास हम ज्यादा से ज्यादा बेच सकेगें। कॉटन ज्यादा से ज्यादा बेच सकेगें। क्योंकि एक्सपोर्ट सब्सिडी अगर दूसरे देशों में कॉटन की खत्म होती है। तो हमारा कॉटन सस्ता हो जायेगा। कॉम्पटीटिव हो जायेगा। ज्यादा से ज्यादा बिकेगा। लेकिन यूरोपीय और अमेरिकी लोगों ने चतुराई के साथ व्यवस्था यह की है कि हमारे देश का कपास उनके देश में बिकने ना पाये। उसके लिए अलग कानून बना रखा है। जहाँ हमको थोड़ा फायदा हो सकता था। इस गैट करार के माध्यम से। हम हमारा कपास दूसरे देशों में ज्यादा बेच सकते थे। थोड़ा दाम लेके आ सकते थे। भारत के किसानों को थोड़ी मदद हो सकती थी। लेकिन वही कपास स्वदेशी कृषि ४९
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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