________________
चुकी थीं जो देश बर्बाद हो चुके हैं। फिर उसी के साथ-साथ एक और संस्था बनायी गई थी। जिसका नाम है ' अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष' (Inter National Monitory Fund) । इसको जिम्मेदारी क्या दी गई थी। दुनिया के तमाम देशों को अपने कर्ज का तात्कालिक व्याज चुकाने के लिए अगर पैसे की जरुरत पड़े तो अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष इसके लिए बनाया गया। वर्ल्ड बँक बनाया गया बड़ी-बड़ी परियोजना पर कर्ज लेने के लिए और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष बनाया गया तात्कालिक रूप से किसी देश को भुगतान की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है । पैसा नहीं है उनके पास भुगतान करने के लिए तो उसके लिए I.M.F. बनाया गया ।
तत्काल कर्जा देने के लिए I. M.F. और World Bank के अलावा एक तीसरी संस्था और बनायी गई। जिसका नाम था 'गैट-जनरल ऍग्रीमेन्ट ऑन टेरिफ एण्ड ट्रेड' और यह गैट संस्था की जिम्मेदारी क्या तय की गई। इसकी जिम्मेदारी यह तय की गई कि दुनिया के देशों में जो माल बिकने के लिए जाता है। किसी एक देश का माल किसी दूसरे देश में जाता है। दूसरे देश का माल किसी तीसरे देश में
ता है। तो यह दुनिया के तमाम देशों के माल एक दूसरे के देशों में बिकने के लिए जाते हैं। तो उनमें अकसर झगड़े होते रहते हैं । कोई देश किसी परदेशी देश के माल पर टॅक्स बढ़ा देता है । कोई देश किसी दूसरे परदेशी देश के माल पर टॅक्स बढ़ा देता है। तो इस तरह के टॅक्स के झगड़े होते हैं। टॅरिफ के झगड़े होते हैं। नॉन टॅरिफ़ के झगड़े होते हैं। कोई देश कहता है- हमको इतना ही माल चाहिए तो जबरदस्ती दूसरा देश बेचने की कोशिश करता है। इस तरह के जो झगड़े होते है । उन झगड़ों का निपटारा करने के लिए एक संस्था बनायी गई। जिसका नाम रखा गया 'गैट - जर्नल ऍग्रीमेन्ट ऑन टेरिफ एण्ड ट्रेड' । तो टॅक्स के होने वाले झगड़े, टॅरिफ के होने वाले झगड़े, वस्तुओं पर लगाए जाने वाले आयात शुल्क पर होने वाले झगड़ों का निपटारा करने के लिए यह संस्था बनी और जब से यह संस्था बनी तब से भारत इसका सदस्य रहा।
अंग्रेजों ने और अमेरिका ने और युरोप के कुछ देशों ने मिलकर इस गैट का निर्माण किया था और भारत उस समय अंग्रेजों का गुलाम था 1945-1946 में तो अंग्रेजों ने जैसा तय कर दिया वैसा भारत ने मान लिया। अंग्रेज चले गए और उन्होंने गैट नाम की संस्था में मेम्बरशिप ले ली और भारत को भी जबरजस्ती गैट का मेम्बर बना दिया | भारत जब गैट का मेम्बर हो गया तो उसके बाद आजादी के तुरन्त बाद इस देश में बहस हुई और बहस के समय यह तय किया गया कि अभी भारत मेम्बर बन गया है तो बन जाने दो क्योंकि इससे कुछ खास नुकसान तो होता नहीं। उस समय गैट के कानून क्या थे । कोई भी देश का व्यापार किसी भी दूसरे
स्वदेशी कृषि
३७