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किसान की खस्ता हालत सरकारी
कानूनों के कारण है
(पुसद, यवतमाल में राजीव भाई द्वारा दिया गया व्याख्यान - भाग 2)
ऐसा ही एक कानून इस देश में बन गया हैसन 1994 के साल में। 15 दिसम्बर .. को भारत सरकार ने गैट करार पर हस्ताक्षर करा दिए और इस गैट करार पर हस्ताक्षर होने के बाद तो किसानों की हालत और गिरती चली जा रही है। गैट करार पर जो हस्ताक्षर किया गया 15 दिसम्बर 1994 को। बहुत सारे लोगों को इसके बारे में काफी गलत फहमी है और इस गलत फहमी को आज में आप से दूर करना चाहता हूँ। यह गैट करार है क्या। हम लोगअगर समझ सके तो किसी दूसरे को भी समझा सकते हैं। __ गैट करार एक ऐसा दस्तावेज है एक ऐसा समझौता है। जिसको भारत सरकार ने किया है दुनिया के कई देशों के साथ मिलकर। यह समझौता क्या है। यह क्या करता है समझौता। इसमें क्या लिखा हुआ है। किस तरह की बाते इसमें लिखी हुई हैं। मैं पहले तो यह समझाने की कोशिश करता हँकी यहगैट क्या है। 1945 में जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया तो सारी दुनिया में बर्बादी दिखाई दे रही थी। युरोप के देश बर्बाद हो गये थे। जो दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हुए थे। तो उस बर्बादी को दूर करने के लिए एक संस्था बनायी गई। जिसका नाम रखा गया वर्ल्ड बँक'। इसका एक दुसरा नाम भी है International Bank For Re-Construction In Development 'और उसको वर्ल्ड बँक भी कहते हैं। यह क्यूँ बनायी गई संस्था। यह बनायी गई उन देशों के लिए जिन देशों में बर्बादी आयी है। उन देश के लोगों कोअगर लोन चाहिए प्रॉजेक्ट चलाने के लिए। परियोजना चलाने के लिए सरकारों को कर्जा चाहिए तो सरकार वर्ल्ड बँक से कर्जा ले सकती है। जो सरकारें बर्बाद हो
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स्वदेशी कृषि