________________
रात में रखें। फिर उसको छानकर 80 लीटर पानी में मिलाकर वह घोल जमीन में छिड़कें। नर्सरी में पौधे तैयार करतसमय भी यह किया
करें। 3. नदी किनारे के फसलों पर या गन्ने की गंडेरी पर हुमणी नामक बड़ी इल्ली
हमला करती है। पाव किलो रवांड दो लीटर पानी में डेढ़ लीटर होने तक
उबालें। फिर पानी के द्वारा उसे बहा दें। 4. फसल को पानी देते समय पानी के नाली पर बारीक छेद वाले डिब्बे में नीम
का तेल या हींग का पानी बूंद-बूंद गिरा दें। इसमें बागवानी में लगे पेड़ का
जमीन के अंदर से काटने, सड़ाने वाले जीवाणु पर नियंत्रण आयेगा। 5. पाँच किलो चूना तीस लीटर पानी में रातभर भिगोकर उसे बहा दें या गीली
जमीन पर छिड़काव करें। 6. धन के खेत में गुड़ाई करते समय आक के पत्ते मिला दें। रतन जोत-एरण्ड
जैसे पत्ते वाला पौध (भोगल एरण्ड) इसके पफलों को पीसकर वह पावडर पानी में मिलाकर धन की खेत में तनाच्छेदक कीड़े के लिये बिखेर दें। तम्बाकू, धतूरा, एरंड बीज, गेंदा के उंडल इनको कूटकर पानी में उबालकर खेत में दें। या सिट्रोला तेल पानी में मिलाकर छिड़काव करें या लहसुन, तम्बाकू, मिर्च, हींग को उबाल कर 10 लीटर पानी में 50 मिली लीटर घोल मिलाकर फसल पर तनाच्छेदक कीड़ों का उपद्रव रोकने के लिये छिड़कें। ध्यान मेंतनाच्छेदक कीटों को खाने का काम मेंढक करते हैं उन्हें बचायें-बढ़ायें। इल्लियां और अन्य रोग निवारण दवा
तांबे के बर्तन में दस लीटर गोमूत्र में तीन किलो नीम की पिसी हुई पत्ती या एक किलो निंबोली चूर्ण या खली दस दिन रखने के बाद आधा रहने तक उसे उबालें। इस समय उसमें आधा किलो तम्बाकू के उडंल भी उबलने दें। __आधा किलो हरी मिर्च कटकर एक लीटर पानी में रातभर उसे रखें। पाव किलो लहसुन कूटकर उसे आधा लीटर केरोसिन में रातभर रखें। मिर्च और लहसुन को निचोड़कर वह पानी और केरोसिन गोमूत्र द्रावण ठंडा होने पर उसमें मिलायें।
बाद में 200 मिली यह द्रावण 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रेपंप द्वारा उसका छिड़काव हर प्रकार के इल्लियों पर और अन्य कीट-पतंगों पर कर सकते हैं। यह करीब सार्वभौम इलाज है।
7.
स्वदेशी कृषि
१०३