SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गोमूत्र 5 प्रतिशत गोमूत्र पानी में मिलाकर हर दस दिन बाद फसल पर निरंतर छिड़कने से रोग आने में प्रतिबंध और रोग पर दवा जैसा उपयोग होता है। कपास रोग नियंत्रण ट्रामकोग्रामा, बॅकान एवम् क्रायसोप नामक परजीवी कीटकों का उपयोग करें। ट्रायको कार्ड - बोने के डेढ़ माह बाद एक हेक्टेयर में डेढ़ लाख अंडे इतने कार्ड कपास के पत्तों पर स्टीच करें। दो बार एक माह के अंतराल से यह किया करें। __प्रथम उपयोग साठ दिन बाद करें। इसमें से पराजीवी कीटक निकलेंगे। मेटॅरिझम पावडर डेढ़ लीटर पानी में 500 ग्राम गुड़ और 500 ग्राम मेटॅरिझम पावडर बीस लीटर पानी में उसे मिला दें और यह द्रावण एक एकड़ फसल पर छिड़कें जिससे कीट नियंत्रण होगा। बाजरे का आटा-- दस दिन पुराना बाजरे का आटा पंद्रह लीटर पानी में हवा बंद डिब्बे में जमीन में या खाद के गड्ढे में गड़ाकर बीस दिन रखें। पंद्रह लीटर पानी में 45 मिली लीटर मिलाकर पंप से फसल पर छिड़काव करने से कीट-पतंग नष्ट होंगे। छांछ- पंद्रह दिन हवा बंद मटके में जमीन में गाड़ने के बाद वह छांछ पानी में खटास आये इतना मिलाकर उसका छिड़काव करने से इल्ली-पतंग पर नियंत्रण पा सकते हैं। इससे मिर्च-टमाटर-बैगन आदि पर का चुर्रामुर्रा या कुकड़ा दूर होता है। भूरा रोग- फुलाव के पहले 10 दिन पुराना बाजरे का आटा चौगुना राख मिलाकर उसे भुरकने से भूरा रोग हटता है। सफेद माक्खे पायरोथोराईड जैसी जहली महंगी दवा ने भी घुटने टेक दिये हैं। इन मक्खियों को भगाने के लिये हवा का रुख देखकर शाम को खरपतवार में नीम की पत्ती डालकर धुआं करें सारा खेत धुएं में डूब जाय। मक्खी भाग जायेगी। जो कुछ अंडे आदि बचेंगे तो दूसरे दिन गुड़ का पानी पत्तों पर चिपकने जैसा बनाकर छिड़कें। उससे वे चिपक जायेंगे। तीन दिन में नष्ट होगी। फसल की श्वसन क्रिया पूर्ववत जारी रखने के लिये -फिर पानी के फब्बारे से पत्ते स्प्रेपंप द्वारा धो दें। । १०४ स्वदेशी कृषि ... ......... ........ ........ ............................................ ................. .. ..
SR No.009367
Book TitleGau Vansh par Adharit Swadeshi Krushi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2013
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy