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पुत्रजन्म
दनम्
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कल्पात्रे जेणेव सिद्धत्थे राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सिद्धत्थं रायं जएणं सिदार्थराज्ञे सशब्दार्थे ।
विजएणं वद्धाति वद्धावित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिंक कटु एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! तिसला देवी णवण्हं मासाणं जाव दारगं पयाया, तण्णं अम्हं देवाणुप्पियाणं पियं णिवेदेमो पियं भे भवउ। तए णं से सिद्धत्थे राया तासिणं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हद्वतुटु चित्तमाणंदिए हरिसवसविसप्पमाणहियए ताओ अंगपडियारियाओ महुरोहिं वयणेहिं विउलेणं पुप्फगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता मत्थयधोयाओ करेइ पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेइ कप्पित्ता पडिविसजेइ ॥२९॥ | | भावार्थ-तदनन्तर त्रिशला देवी की अंगपरिचारिकाएं-दासियां नौ मास साढे | सात दिन पूरे होने पर त्रिशला देवी के पुत्रजन्म को देखकर शीघ्र तुरन्त चपल और
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