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कल्पसूत्रे शब्दार्थ
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रथ के साथ धनरथ तीर्थंकर के समीप दीक्षा ग्रहण की। एक लाख पूर्व तक विशुद्ध तप संयम का पालन कर और तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन कर अनशन पूर्वक कालधर्म पर सर्वार्थ सिद्ध विमान में देवरूप से उत्पन्न हुए ।
aria ras सर्वार्थसिद्धविमान देवलोक की स्थिति ३३ सागरोपम, जन्म नगरी हस्तिनापुर पिता का नाम विश्वसेन, माता का नाम अचिरा, आयुष्य एकलाख वर्ष, गर्भकल्याणक भाद्रपद सप्तमी, जन्मकल्याणक ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी, कुंवरपद २५ हजार वर्ष, राज्यगादी ५० हजार वर्ष, शिविका नागदत्त दीक्षा ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी, एकहजार के साथ, पहली गोचरी दाता का नाम सुमित्र, पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्मस्थावस्था का समय १ एक वर्ष, चैत्यवृक्ष का नाम नन्दिवृक्ष, केवल कल्याणक पौष शुक्ल नवमी, निर्वाण कल्याणक ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी, देहप्रमाण ४० धनुष, वर्ण कंचन, लक्षण मृग, नायक गणधर चक्रायुद्ध, अग्रणी साध्वी सुई, प्रव्रज्या समय २५ हजार वर्ष,
शान्तिनाथ
प्रभोः चरित्रम्
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