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धर्मनाथ प्रभोः
चरित्रम्
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कल्पसत्रे | लक्खवरिसं, गब्भकल्लाणगं वेसाहसुक्कसत्तमीए, माहसुक्कतइयाए जम्मकल्लासशब्दार्थे
णगं, कुमारपए अद्धतइयलक्खवरिसं, पंचलक्खवरिसं रज्जं करीअ, एगसहस्सपरिवारेण सद्धिं सागरदत्ता सिवियारूढो माहसुक्कतेरसे दिवसे दिक्खिओ जाओ। पढमभिक्खादायारो धम्मसीहो, भिक्खाए खीरं लद्धं,। छउमत्थावत्था कालो दो वरिसा, दहिवण्ण चेइयरुक्खतले पोससुक्कपुण्णिमाए केवलणाणं, , जेटुसुक्कपंचमीए निव्वाणं, देहप्पमाणं, पणयालीसधणुपडिमाणं, कंचणवण्णो, वज्जपक्खीलक्खणं, णायगगणहरो अरिदुनामा, अग्गणी साहुणी सिवा, पव्वज्जाकालो अद्धतइयलक्खवरिसो, गणहराणं तिचत्तालीससंखा, साहुणं चउसदिसहस्स संखा, साहुणीणं संखा च उसयोत्तर दिसद्विसहस्सा, सावगाणं चत्तारिसहस्सोत्तर दोलक्ख संखा, सावियाणं तेरससहस्सोत्तरचत्तारिलक्ख
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