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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥८३९॥
३२०० बत्तीस सौ, शासनकाल ४ सागरोपम, कितना पाट मोक्ष में गया असंख्याता,
धर्मनाथ
* प्रभोः शासनदेव पाताल, शासनदेवी अकुशा ॥१४॥
चरित्रम् १५ धम्मनाह पहुस्स चरित्तं___ मूलम्-धायइसंडे दीवे पुव्वविदेहम्मि भरहनामविजए भद्दिलपुर नाम । णयरी होत्था। तत्थ दढरहो नाम राया, विमलवाहण आयरियसमीवे दीक्खिओ जाओ। वीस ठाणाई आराहिऊण तित्थगर नामगोयं कम्मं उवाजियं। अंतसमए संलेखणं संथारगं किच्चा आलोय पडिकंतिए कालं किच्चा ।। वेजयंतविमाणे महड्ढिओ देवो जाओ।
. बत्तीससागरोवमं ठिइं पुण्णं किच्चा रयणपुरी णयरीए जम्म। तत्थ 4 भाणुसेणो नाम राया, सुवत्तादेवी कुक्खंमि पुत्तत्ताए उववण्णो । आऊ दस
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