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________________ - कल्पसूत्रे सशब्दार्थ 11८३१॥ विमलनाथ प्रभोः चरित्रम् १३ विमलनाहपहुस्स चरित्तंमूलम्-धायइसंडदीवे पुव्वविदेहमि भरहनामगविजए महापुरी नाम नयरी होत्था । तत्थ पउमसेणो नाम राया आसी। स धम्मिट्ठो नायसिलो आसी। सो सव्वगुत्त आयरियसमीवे दिक्खिओ जाओ, वीस ठाणाई आराहित्ता तित्थगरनामगोयं कम्मं उवाजियं। अंतसमए संलेखणं संथारगं किच्चा आउं पुण्णं किच्चा सहस्सारे देवलोगे देवो जाओ। ___ अट्ठमे देवलोगस्स ठिइं अट्ठारस सागरोवमं पुण्णं किच्चा तओ चविऊण | कपिलपुरे जम्म, पियस्स नाम कित्तीभाणु, माउस्स नाम सामा, आउ सहि लक्खवरिसं, गब्भकल्लाणगवेसाहसुक्दुवालसदिणे, जम्मकल्लाणग माहसुक्कतइआ, कुमारपए पण्णरसलक्खवरिसं तीसलक्खवरिसं रज्जं करीअ, एग ॥८३१॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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