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सशब्दार्थे ८३०॥
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लाख वर्ष, राज्यगादी समय, राज नहीं किया । शिविका अग्नि सप्रभा, दीक्षा फाल्गुन कृष्ण तृतीया, एक हजार के साथ, पहली गोचरी दाता का नाम सुनंदा पहली गोचरी मिला खीर, छद्मस्थ अवस्था का है एकमास, चैत्यवृक्ष का नाम पाटल, केवल कल्याणक माघ शुक्ल द्वितीया, निर्वाण कल्याणक अषाढ शुक्ल चतुर्दशी, देह प्रमाण ७० धनुष वर्ण लाल, लक्षण महीष, नायक गणधर सुधर्म, अग्रणी साध्वी धारिणी, प्रव्रज्या समय ५४ लाख वर्ष, गणधर संख्या ६६ साधु संख्या ७२ हजार, साध्वी संख्या दो लाख पन्द्रह हजार, श्राविका संख्या ४ लाख छत्तीस हजार, साधु केवली ६०००, साध्वी केवली १२ हजार, अवधिज्ञानी ५ हजार चार सौ, मनःपर्यायी छ हजार, चतुर्दश पूर्वी १ हजार दो सौ, वैकुर्विक १० हजार, वादी संख्या ४७०० सैंतालीस सौ, शासन काल ३० सागरोपम, कितना पाट मोक्ष में गया असंख्याता; शासनदेव सुकुमार, शासनदेवी प्रवरा ॥ १२ ॥
वासुपूज्य प्रभोः चरित्रम्
॥ ८३०॥