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कल्पसूत्रे
सशब्दार्थे ॥८१३॥
चरित्रम्
पचास धनुष वर्ण श्वेत, लक्षण चन्द्र, नायक गणधर दीन कर्ण; अग्रणी साध्वी सोमाणी,
चन्द्रप्रभप्रव्रज्या समय एक लाख पूर्व, गणधर संख्या ९३ तेरानवे, साधु संख्या दो लाख पचास स्वामि हजार, साध्वी संख्या तीन लाख अस्सी हजार, श्रावक संख्या दो लाख ५ पांच हजार, IAS श्राविका संख्या ४ चार लाख ९१ वे हजार, साधु केवली १० दशहजार, साध्वी केवली २० बीस हजार अवधिज्ञानी आठ हजार, मनः पर्यायी आठ हजार चतुर्दश पूर्वी दोहजार वैकुर्बिक १४ चौदह हजार, वादी ७६०० छिहोत्तर सौ, शासनकाल ९० नव्वेकरोड सागरोपम, कितना पाट मोक्ष में गयाअसंख्याता, शासनदेव विजय शासन देवीज्वाला॥८॥
नवमं सुविहिनाहचरित्तंमूलम्-पुक्खरवरदीबड्ढे पुव्वविदेहम्मि पुक्खलावई विजयो होत्था । तस्स णयरी पुंडरिगिणी आसी। तत्थ महापउमो राया आसी। सो महाधम्मसीलो पजावच्छलो आसी । सो संसाराओ विरत्तो जाओ, स जगण्णद
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