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________________ unr n . --.. ... muve In Iोन पात्र चन्द्रप्रभस्वामि । कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥८१२॥ चरित्रम् भी जल कमलवत् निरासक्त थे। कोई कारण पाकर उन्हें संसार से विरक्ति हो गई और उन्होंने युगन्धर नाम के आचार्य के समीप दीक्षा ग्रहण कर ली । चिरकाल तक संयम का उत्कृष्ट भाव से पालन करते हुए उन्होंने तीर्थङ्कर नाम कर्म का उपार्जन किया। आयु पूर्ण होने पर पद्मनाभमुनि वैजयन्त नामक विमान में ऋद्धि सम्पन्न देव हुए। वहां से च्यवकर वजयन्त विमान की स्थिति तेंतीस सागरोपम जन्म नगरी चन्द्रपुरी | पिता का नाम महासेन माता का नाम लक्ष्मी आयुष्य १० लाख पूर्व गर्भ कल्याणक | चैत्र कृष्णपक्ष पंचमी जन्म कल्याणक पौष कृष्ण द्वादशी. कुंवरपद अढाई लाख पूर्व राज्यगादी समय साढे छ लाख पूर्व, शिविका अपराजिता. दीक्षा पौषकृष्ण त्रयोदशी | एक हजार के साथ, पहली गोचरी देनेवाले का नाम सोमदत्त, पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्मस्थ अवस्था छमास, चैत्य वृक्ष का नाम नाग क्ष. केवल कल्याणक फाल्गुन कृष्ण सप्तमी निर्वाणकल्याक भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, देह प्रमाण एक सौ ५० TAMIL ८१३॥ IATI
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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