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कल्पसूत्रे
सशन्दार्थे ॥८१०॥
चन्द्रप्रभस्वामि चरित्रम्
तेंतीस सागरोवमं ठिइं पुण्णं किच्चा तओ चविय चंदपुरी णयरीए तस्स | जम्मं हविअ । तस्स पिया महासेणो, माया नाम लच्छी, आउ दसलक्खपुव्वं, | गब्भकल्लाणगं चेइय किण्हपक्व पंचमीए, पोस किण्हबारसाहे दिवसे जम्मकल्लाणं हविअ, कुमारपए अद्ध तइयलक्खपुव्वं, अद्धसत्तलक्खपुव्वं रज्जं पालिय, तओ पच्छा सहस्स परिवारेण सद्धिं अपराजिया सिविया रूढोपोसकिण्हा तेरसे दिवसे दिक्खिओ जाओ, पढम भिक्खादायारो सोमदत्तो, पढम भिक्खाए खीरं लद्धं, छउमत्थावत्था छमासा, फग्गुणी किण्ह सत्तमीए नागरुक्ख चेइय रुक्खतले केवलणाणं, भद्दवकिण्ह अट्ठमीदिणे निव्वाणं, एगसय पन्नासं धणूंसि देहपमाणं, गोरवण्णं, चंदलक्खणं, णायग गणहरो दीन कण्णो, अग्गणी साहूणी सोमाणी, एगलक्खपुव्व पव्वज्जाकालो, गणहराणं संखा
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