________________
सुपार्श्वनाथ
कल्पसूत्रे
जिन
सशब्दार्थे
चरित्रम्
।।८०८॥
नगरी वाणोरसी, पिता का नाम प्रतिष्ठसेन, माता का नाम पृथ्वी आयुष्य वीसलाख - पुर्व, गर्भकल्याणक भाद्रपद कृष्णअष्टमी जन्मकल्यणक ज्येष्ठशुक्ल द्वादशो, कुंवरपद
५ लाख पूर्व, राज्यगादी समय १४ चौदहलाख पूर्व, शिविका जयन्ती, दीक्षा कल्याणक ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी १ एक हजार के साथ, पहली गोचरी देनेवाले का नाम महेन्द्र पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्मस्थ अवस्था का ९ मास चैत्यवृक्ष का नाम शिरिष, केवल कल्याणक फाल्गुन कृष्ण छह, निर्वाण कल्याणक फाल्गुन कृष्ण सप्तमी, देह प्रमाण दो सौ धनुष, वर्ण कंचन, लक्षण स्वस्तिक. नायक गणधर विदर्भजी, अग्रणी साध्वी सोमा, प्रवज्या समय १ एकलाख पूर्व, वादी संख्या ८४०० चौरासी सौ, गणधर संख्या ९५, साधु संख्या तीन लाख, साध्वी संख्या चारलाख तीसहजार, श्रावक संख्या दो
लाख ५७ हजार, श्राविका संख्या ४ लाख ९३वे हजार, साधु केवली ११ ग्यारह हजार, | साध्वी केवली २२ बावीस हजार अवधिज्ञानी ९ नौ हजार, मनःपर्यायी नव हजार एक
LAA
"" !
॥८०८॥