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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥८०६॥
चरित्रम्
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फग्गुणकिण्ह छदिवसे केवलणाणं सुपासपहुस्स समुप्पण्णं । फग्गुण किण्हा ।। सुपार्श्वनाथ सत्तमी दिवसे निव्वाणं, द्विसयधणुप्पमाण देहमाणं, कंचणवण्णो देहो, सोवत्थियलक्खणं, गणणायग गणहरो विदब्भो, अग्गणी साहुणी सोमा, पव्वज्जाकालो एकलक्खपुव्वो, चत्तारिसयोत्तर असहस्सा वाईणं संखा, पंचाणउइगणहराणां संखा, तिलक्खा साहूसंखा, तीससहस्सोत्तरा चउलक्खा, साहूणीणं संखा, सत्तावण्णसहस्सोत्तर दो लक्खा सावगाणं संखा तेणउइ सहस्सोत्तर चउलक्वा सावियाणं संखा, एक्कारससहस्सा केवली साहूसंखा, बावीस सहस्सा, केवलीसाहूणीणं संखा, ओहिणाणीणं संखा नवसहस्सा, मणपज्जवनाणीणं संखा एगसय पन्नासोत्तर नवसहस्सा, चउद्दसपुव्वी संखा तिसयपन्नासोत्तर दो सहस्सा, वेउव्वियलद्धिधराणं संखा तिसयोत्तरपन्नरससहरसा,
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