________________
कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥७९८॥
सुमतिनाथ प्रभु चरित्रम्
RENCE
किया। वहां पर तीर्थकर नाम कर्म उपार्जन किया। वहां आयु पूर्ण करके अनुत्तर नामक 'जयन्त' विमान में उत्पन्न हुआ।
वहां से च्यव करके जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में 'अयोध्या' नामंकी नगरी थी। वहां मेघरथ नाम के राजा थे। उनकी रानी का नाम 'मंगला देवी' था । देवलोक का आयु पूर्णकर श्रावण शुक्ला द्वितीया के दिन 'मंगला देवी' रानी की कुक्षि में गर्भपने उत्पन्न हुए । चालीस लाख पूर्वका आयु था । वैशाख शुक्ल अष्टमी के दिन जन्म कल्याणक, | दसलाख पूर्व कुंवरपद पर, उनतीस लाख पूर्व राज्यगादी पर आरूढ हुए । विजया नामकी शिविका वैशाख शुक्ल नवमी दीक्षा कल्याणक एक हजार के साथ, पहली गोचरी के दाता का नाम पद्म, पहली गोचरी में क्या मिला ? खीर । छदमस्थ अवस्था का वरस २० बीस वर्ष, चैत्य बृक्ष का नाम प्रियंगु, केवल कल्याणक, चैत्र शुक्ल एकादशी, निर्वाण कल्याणक चैत्र शुक्ल नवमी, देह प्रमाण तीन सौ धनुष, वर्ण कंचन, लक्षण क्रौंच पक्षी,
॥७८६॥