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________________ सुमतिनाथ प्रभोःचरित्रम् ॥७९७॥ कल्पसूत्रे । संखा एगासीइसहस्सोत्तर दोलक्खा सावयाणं संखा, सोलससहस्सोत्तर पंच- सशब्दार्थे लक्खा सावियाणं संखा, तेरससहस्सा, केवलीसाहु संखा, छब्बिससहस्सा केवलिसाहुणीणं संखा, एक्कारससहस्सा ओहिणाणिणं संखा, दससहस्सा, मणपज्जवनाणिणं संखा, छसया पन्नासोत्तर दससहस्सा बाईणं संखा, वेउव्वियलविधराणं संखा, चत्तारिसयोत्तर अट्ठारससहस्सा णवइकोडीसहस्सा सागरावमो. सासणकालो, असंखेजा पट्टामोक्खंगया, सासणदेवो तुंवरु सासणदेवी महाकाली। (५)-श्री सुमतिनाथ स्वामीका पूर्वभवधातकी खण्ड के पूर्वविदेह में पुष्कलावती विजय में 'शंखपुर' नामका नगर था। वहां जयसेन' नामका राजा था। उसकी 'सुदर्शना' नामकी रानी थी। उसके पुत्रका नाम 'पुरुषसिंह' था। उन्होंने 'विजयनन्दन' नामक आचार्य के समीप दीक्षा ग्रहण ॥७९७॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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