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अभिनंदन
चरित्रम्
कल्पसूत्रे सौ, वैक्रिय लब्धिधारी की संख्या सोलह हजार, वादी संख्या ग्यारह हजार, शासन सशब्दार्थे | काल नौ लाख क्रोड सागरोपम कितनेक पाट मोक्ष में गये असंख्याता; शासनदेव ईश्वर * प्रभोः ॥७९॥ शासन देवी काली थी।
__सुमईनाहपहुस्स चरित्तंमूलम्-धायइसंडे पुव्वविदेहे पुक्कलावईविजए संखपुर नाम णयरी होत्था, तत्थ जयसेणो नाम राया। तरस सुदंसणा नाम देवी आसी, तस्स पुत्तो पुरिस सीहो, सो विजयनंदण आयरियसमीवे दिक्खिओ जाओ। तत्थ वीस ठाणाई समाराहुण तित्थगरनामगोयं कम्मं उवाजियं । तओ आउं पुण्णं किच्चा जयंतनामगे अणुत्तरविमाणे उववण्णो।
तओ चइऊण मज्झ जंबूदीवे भारहे वासे विणेया नयरी आसी। तत्थ
॥७९५॥