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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ७९४॥
अभिनंदन प्रभोः चरित्रम्
उत्पन्न हुआ। माघ शुक्ल द्वितीया के दिन जन्म कल्याणक, साढे बारह लाख पूर्व कुंवरपद साढे छत्तीस लाख पूर्व राज्यगादी समय, सुप्रसिद्धा नामकी शिविका माघ शुक्ल चतुर्दशी को दीक्षा एक हजार के साथ, पहली भिक्षा देनेवाले का नाम इन्द्रदत्त, पहली भिक्षा में क्या मिला ? खीर । अठारह हजार वर्ष छद्मस्थ अवस्था, चैत्य वृक्ष का नाम प्रियक, पोष शुक्ल चतुर्दशी के दिन केवल कल्याणक, वैशाख सुदी अष्टमी के दिन निर्वाण कल्याणक, देहप्रमाण ३५० धनुष्य, वर्ण कंचन, लक्षण कपि, नायक गणधर वज्रनाभ, अग्रणी साध्वी अन्तरानी, प्रव्रज्या समय १ एक लाख पूर्व, साधु संख्या तीन लाख, साध्वी संख्या छ लाख तीस हजार, श्रावक संख्या दो लाख अठारह हजार, श्राविका संख्या ५ लाख सत्ताबीस हजार, केववली साधुओं की संख्या चौदह हजार केवली वाध्वी की संख्या चौदह हजार, अवधिज्ञानी की संख्या आठ सौ, मनःपर्यायज्ञानी की संख्या ग्यारह हजार छ सौ पचास, चतुर्दश पूर्वी एक हजार पांच
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