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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
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इस क
पहली भिक्षा में शेरडी का रस, छद्मस्थ एक हजार वर्ष, चैत्यवृक्ष के नाम न्यग्रोध (वड ) केबल कल्याणक फाल्गुन कृष्ण एकादशी, निर्वाण कल्याणक माघकृष्ण त्रयोदशी, देहप्रमाण पांचसौ धनुष्य, वर्ण कांचन, लक्षण वृषभ मुख्य गणधर ऋषभसेन, मुख्य ( प्रथम ) साध्वी ब्राह्मी, प्रव्रज्या काल एकलाख पूर्व, गणधर चौरासी, उत्कृष्ट साधु संख्या चौरासी हजार, उत्कृष्ट साध्वी संख्या तीन लाख पाँच हजार, श्रावक संख्या तीन लाख पांच हजार, श्राविका संख्या पांच चौपन हजार, साधु केवली बीस हजार, साध्वी केवली चालीस हजार, अवधिज्ञानी नव हजार, मनःपर्यवज्ञानी बार हजार छहसौ पचास, चतुर्दश पूर्वघर चार हजार सात सौ पचास, वैक्रियलब्धिवाले बीस हजार छसौ, वादी १२६५० बारह हजार छसौ पचास और अणुत्तरविमानवासी बावीसहजार नवसो मुनि थे । शासनकाल पचास लाख क्रोड सागरोपम । असंख्याता पाट मोक्ष में गया। शासन देव गोमुख, शासनदेवी पक्रेश्वरी ।
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ऋषभदेव
प्रभोः चरित्रम्
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