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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ७८२॥
अजितनाथ प्रभोः चरित्रम्
अजियनाह पहुस्सचरितंमूलम्-अह बीओ अजियनाहो वच्छदेसे-सुसीमा णामं णयरी होत्था। विमलवाहणो णाम राया, अरिंदम मुणि समीवे पवज्जा गहीअ, तत्थ वीस ठाणाई आराहिऊण तित्थगर नाम गोय कम्मं उवाजिऊं। तओ कालमासे कालं किच्चा विजय नामं अणुत्तरविमाणे तेत्तीस सागरोवमाठईओ देवो उववण्णो। ___ तओ पच्छा आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अयोज्झा नयरीए जयसत्तुरायस्स, विजया नाम देवीए कुक्खंमि वेसाइ सुक्क तेरसीए दिवसे पुत्तत्ताए उववण्णो, माहकिण्हा अट्ठमी दिवसे जम्म गहीअ, अट्ठारसलक्खपुव्वं कुमारपए, तेवण्णलक्खपुव्वं रजपए आरूढो हवइ, तओ पच्छा सहस्स परिवारेण सद्धिं वेसाह सुक्कनवमीए दिवसे सुप्पभानाम सिवियाए उववेसिऊण दिक्खिओ
॥७८२॥