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कल्पसूत्रे
शब्दार्थे
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ओसावर्णि विज्जं दलामि] ओर मैं आपको अवस्वापिनी विद्या सिखा देता हूँ । [तस्स इमं वयणं सोच्चा जंबुकुमारो कहीअ] उसके यह वचन सुनकर जंबूकुमारने कहा - [ इमाओ लोइयविज्जाओ दुग्गइकारणाओ संति] यह लौकिक विद्याएं अधोर्गात का कारण हैं [तुझ विज्जाए मज्झम्मि पभावो न जाओ] तुम्हारी विद्या का मुझ पर प्रभाव नहीं पडा [तुब्भाणं गई जं मए थंभिया, एत्थ न कावि विज्जा कारणं] और मैंने जो तुम्हारी गति स्तंभित कर दी इस में कोई विद्या का कारण नहीं है । [अयं पहाओ नमुक्कारमंतस्स अस्थि] यह तो नमस्कार मंत्र का प्रभाव है [ एवं कहिय जंबु - कुमारो तस्स चारितधम्मं उवादिसीअ ] इस प्रकार कहकर जंबूकुमारने प्रभव को चारित्रधर्म का उपदेश दिया [तं सोच्चा पभवाईणं चोराणं मणंसि वेरग्गं संजायं ] वह उपदेश सुनकर प्रभव आदि सभी चोरों के मनमें वैराग्य उत्पन्न हो गया [तओ बीए दिवसे सपरिवारो जंबूकुमारो तेहिं पभवाइएहिं चोरेहिं सद्धिं सुहम्मसामि समीवे पव्वइओ ]
प्रभवस्वामि परिचयः
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