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जम्बूस्वामि परिचयः
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कल्पसूत्रे चोरों को साथ लेकर प्रभव नामक प्रसिद्ध चोर चोरी करने के लिये जंबूकुमार के घर | सशब्दार्थे । में घुसे। उन्हें भी उन्होंने प्रतिबोधित किया। तत्पश्चात् सूर्योदय होने पर पांचसौ चोरों
के साथ आठों पत्नीयों के साथ, पत्नीयों के माता-पिता के साथ और अपने मातापिता के साथ; आप स्वयं पांचसौ सत्ताईसवें होकर दहेज की निन्न्यानवें कोटि स्वर्णमुद्राओं को तथा अपने घरकी अखूट संपत्ति को त्याग कर सुधर्मास्वामी के पास प्रवजित हो गये। जंबूस्वामी सोलह वर्ष तक गृहवास में रहे, वीस वर्ष तक छद्मस्थ पर्याय में रहे, चवालीस वर्ष तक केवली-पर्याय में रहे। इस प्रकार अस्सी वर्ष समस्त आयु भोग कर प्रभव अनगार को अपने पाटपर प्रतिष्ठित करके श्री महावीर भगवान् के निर्वाणकाल से चौसठवें वर्ष में मोक्ष गये। जब तक जंबूस्वामी मोक्ष नहीं गये थे तब तक भरतक्षेत्र में आगे कहे दस स्थान थे। यथा-(१) मनःपर्यवज्ञान, (२) परमाव- | वधिज्ञान, (३) पुलाकलब्धि (४) आहारकशरीर (५) क्षपकश्रेणी (६) उपशमश्रेणी (७)
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