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________________ कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥७४९ ॥ सामी चउदस विज्जा पारगो पण्णासवरिसंते पव्वइओ] कोल्लागसन्निवेश के निवासी धम्मल ब्राह्मण की पत्नी भद्दिला से उत्पन्न चउदह विद्याओं के पारगामी सुधर्मास्वामी पचास वर्ष की आयु में भगवान महावीर के पास प्रव्रजित हुए [तीसं वासाई सिरिवृद्ध माणसामिस्स अंतिए निवसिय ] तीस वर्ष तक श्रीवर्धमान स्वामी के समीप रहकर [ भगवओ निव्वाणानंतरं बारसवरिसाई छउमत्थपरियागं पाउणित्ता जम्मओ वाणउ - arin] भगवान् के निर्वाण के बाद बारह वर्ष तक छद्मस्थ अवस्था में रहकर जन्म से लेकर बानवें वर्ष के अंत में [ गोयमसामिनिव्वाणानंतरं केवलणाणं पाविय] गौतमस्वामी निर्वाण के अनन्तर केवलज्ञान प्राप्त करके [अटूवरिसाई केवल परियागे ठिच्चा एगसय• वरिसाई सव्वाउयं पालइत्ता ] आठ वर्ष तक केवली अवस्था में रहकर, एक सौ वर्ष की समग्र आयु भोगकर [समणस्स भगवओ महावीरस्स निव्वाणानंतरं ] श्रमण भगवान् महावीर के निर्वाण के पश्चात् [वीसइवरिसेसु बीइकतेसु जंबूसामिणं नियपट्टे ठाविय. सुधर्मस्वामि परिचयः ॥७४९ ॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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