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कल्पसूत्रे
भगवत्प
IN मिलाकर इक्कीससौ सिद्धोंकी सम्पदा थी [अट्रसया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं ||
वारसशब्दार्थे ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभदाणं उक्कोसिया अणुत्तरोववाइयाणं संपया होत्था] गति
वर्णनम् ॥७४०॥
कल्याण स्थिति कल्याण भावीभद्र आठसौ. अनुत्तरोपपातिकों की उत्कृष्ट अनुत्तरोपपातिक सम्पदा थी। [दुविहा य अंतरागडभूमी होत्था-तं जहा-] दो प्रकार की अन्तकृत भूमि थी जैसे-जुगंतगडभूमी य परियंतगडभूमि य] युगांतकृप्त भूमि' और पर्यायान्तकृतभूमि
१-कालकी एक प्रकारकी अवधिको युग कहते हैं। युगक्रम से होते हैं । इस समानता के कारण गुरु, शिष्य, प्रशिष्य आदि के क्रम से होनेवाले पुरुष भी युग कहलाते हैं । उन युगों से प्रमित मोक्ष गामियों के काल को युगांतकृत् भूमि कहते हैं। TAN भगवान महावीर तीर्थ में भगवान महावीर के निर्वाण से आरंभ करके जम्बूस्खा निर्वाण पर्यन्तका काल युगांतकृत् भूमि है । इसके बाद मोक्ष गमनका बिच्छे