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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥७३९॥
को प्राप्त सातसौ वैक्रियलब्धि के धारकों की उत्कृष्ट वैक्रियिक सम्पदा थी। भग्नत्प- (अड्डाइज्जेसु दीवेसु दोसु य समुद्देसु पज्जत्तगाणं सन्निपंचिंदियाणं मणोगए भावे - नम । जाणमाणाणं पंचसयाणं विउलमईणं उकिट्ठा विउलमइसंपया] ढाई द्वीपों और
दो समुद्रों के पर्याप्त संज्ञीपंचेन्द्रिय जीवों के मनोगत भावों को जाननेवाले पांचसौ । - विपुलमति ज्ञानियोंकी विपुलमति-सम्पदा थी [सदेवमणुयासुराए परिसाए वाए अपराजियाणं चउसयाणं वाईणं उकिट्ठा वाइसंपया होत्था] देवों मनुष्यों और असुरों सहित परिषद् में वाद विवाद में पराजित न होनेवाले चारसौ वादियोंकी उत्कृष्ट वादी सम्पदा । थी [सिद्धाणं जाव सव्वदुक्खप्पहीणाणं सत्तसयाणं अंतेवासीणं उक्ट्रिा संपया] सिद्धो यावत् समस्त दुःखों से रहित सातसौ सिद्धोंकी उत्कृष्ट सिद्ध सम्पदा थी [एवं चेव चउद्दससयाणं अज्जियासिद्धाणं उक्किट्ठा संपया] इसी प्रकार चौदह सौ आर्यिका सिद्धों की उत्कृष्ट सम्पदा थी [एवं सव्वा एगवीसइसया सिद्धसंपयाण] इस प्रकार दोनों को