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जन्म
कल्पात्रे । पर्यंत शेष सब इन्द्रोंका कहना। इसमें जो जो विशेषता है सो कहते हैं सौधर्मेन्द्र के ८४ शकेन्द्रक्रतसभन्दाथै
तीर्थकरहजार सामानीक देव है। ईशानेन्द्र के ८० हजार सनत्कुमारेन्द्र के ७२ हजार माहेन्द्र के - ॥६२॥
७० हजार ब्रह्मेन्द्र के ६० हजार लांतकेन्द्रके ५० हजार महाशुक्रेन्द्र के ४० हजार सहस्रा- महोत्सवः रेन्द्र के ३० हजार प्राणतेन्द्र के २० हजार और अच्युतेन्द्रके १०ह जार सामानिक देव हैं।
'अब विमान की संख्या कहते हैं सौधर्मेन्द्र देवलोक में ३२ लाख विमान, ईशानेन्द्र के २८ लाख विमान, सनत्कुमारेन्द्र के १२ लाख माहेन्द्र के ८ लाख ब्रह्मेन्द्र के ४ लाख लांतकेन्द्र के ५० हजार महाशुकेन्द्र के ४० हजार सहस्रारेन्द्र के ६ हजार प्राणतेन्द्र के ४०० और । अच्युतेन्द्र के ३०० विमान कहे हैं अब यान विमान के नाम कहते हैं १ पालक २ पुष्पक
३ सोमणस ४ श्रीवत्स ५ नंदावर्त ६ कामगम ७ प्रीतिगम ८ मनोरम ९ विमल और ।। ..... १० सर्वतोभद्र । सौधर्मेन्द्र सनत्कुमारेन्द्र ब्रह्मेन्द्र महाशुकेन्द्र और प्राणतेन्द्र इन पांच इन्द्रों । के सुघोष नामक घंटा है और हरिणगमेषी नामक पदात्यनीक देवता है। इनके निकलने
ः ॥२॥