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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
भगवतो निर्वाण
समय|
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चरित्रम्
पीछले समय भेज दिया । श्रमण भगवान् महावीर तीस वर्ष तक गृहवास में रहे कुछ समय अधिक बारह वर्ष पर्यन्त छद्मस्थावस्था में रहे । और कुछ समय कम तीस वर्ष केवली पर्याय में रहे। इस प्रकार बयालीस वर्षों तक चारित्र पर्याय में रहे । जन्मकाल से आरंभ करके समग्र आयु बहत्तर वर्ष की भोगी। तत्पश्चात् वेदनीय, आयु, नाम
और गोत्र नामक चार अघातिक कर्मों का क्षय हो जाने पर इसी अवसर्पिणी काल के दुष्षम-सुषम नामक चौथे आरे का अधिक भाग बीत जाने पर और सीर्फ तीन वर्ष तथा साढे आठ महीने शेष रहने पर पावापुरी में हस्तिपाल राजा की पुरानी शुल्कशाला में बयालीसवे चौमासे के चौथे मास और सातवें पक्ष में कार्तिक मासके कृष्णपक्ष में और कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि में, अन्तिम रात्रि के अर्ध भाग में अर्थात् आधी रात के समय में अकेले-दूसरे मोक्षगामी जीव के साथ के विना ही जलपान रहित बेले की तपस्या के साथ पद्मासन से विराजमान हुए। उस
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