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________________ शक्रेन्द्रक्रत पशब्दार्थे | तीर्थकरजन्ममहोत्सवः कल्पसूत्रे भगवान् तीर्थंकरका जन्म होनेका नगर एवं जहां उनका जन्म भवन होता है वहां आता है उस भवन को दिव्य यान विमान से तीन वार प्रदक्षिणा करके भगवान् तीर्थकरके जन्म ॥५६॥ भवन से ईशान कोन में पृथ्वी तल से चार अंगुल ऊंचा दिव्य यान विमान रखता है फिर आठ अग्रमहिषियों और गंधर्वानीक ८ नृत्यानीक यों दो अनीक सहित पूर्व दिशा की पंक्तियों से नीचे उतरते हैं तत्पश्चात् शक देवेन्द्र के चौरासी हजार सामानीक देव उस दिव्य यान विमान के उत्तर दिशा की पंक्तियों से नीचे उतरते ह और शेष देवता व | fil देवियों उस दिव्य यान विमान से दक्षिणकी पंक्तियों से नीचे उतरते हैं ॥१३॥ ____ मूलम्-तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीए सामाणियसाहस्साएहिं जाव सद्धिं संपरिखुडे, सव्विढीए जाव दुंदुहि णिग्घोसणाइयरवेणं जेणेव भयवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छइ २ त्ता आलोए चेव पणामं करइ २त्ता भयवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता ॥५६॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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