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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥६५९॥
भविस्संति] बहुत से हिंसादि में धर्म माननेवाले होंगे। फिर गौतमस्वामी पूछते हैं[भंते] हे भगवन् [केवइयाणं लिंगा पण्णत्ता ] लिंग कितने प्रकार के कहे गये हैंउत्तर में प्रभु फरमाते हैं - [ गोयमा] हे गौतम! [पंचलिंगा पण्णत्ता ] लिंग पांच प्रकार के होते हैं [तं जहा] वह इस प्रकार [ गिहिलिंगे ] गृहस्थलिंग १, [ अण्णलिंगे ] अन्यलिंग २ [कुलिंगे] कुलिंग ३, [दव्वलिंगे] द्रव्यलिंग ४ और पांचवां [सलिंगे] स्वलिंग ५ | गौतम पूछते हैं [ते] हे भगवन् [कइत्रिहेणं] कितने प्रकार के [सलिंगे पण्णत्ते ?]
लिंग कहे गये हैं [गोयमा] हे गौतम! [सलिंगे पंचविहे पण्णत्ते] खलिङ्ग पांच प्रकार के कहे गये हैं [तं जहा] वे इस प्रकार - [ अरिहंते ] अर्हन्त भगवन्त १, [आयरिए ] आचार्य २, [उवज्झाए] उपाध्याय ३, [ साहूणो] साधु ४ [ साहुणीओ] साध्वियां ५ ॥३५॥
भावार्थ--हे भगवन् उस काल और समय में दूषम काल में किस प्रकार का आचारभाव होगा ? हे गौतम! वारंवार दुर्भिक्ष अर्थात् दुष्काल पडेगा एवं
भगवच्छासनावध्या
दि कथनम्
॥६५९॥