________________
यज्ञवाटक परित्यज्या
न्यत्र देवगमनात्
तत्रस्थिता नामाश्चर्या
कल्पसूत्रे NI रूपी हस्ती को विदारण करनेवाले पंचानन (सिंह) [वाइस्सरिय सिंधु चुलगीगरागत्थी!] मशब्दार्थ हे वादियों के ऐश्वर्य रूपी सागर को चूल्लू में पी जानेवाले अगस्ति ! [वाइसीहाटावय !] - ॥४८९॥
हे वादि सिंहों के लिए अष्टापद [वाइविजयविसारय!] हे वादिविजय विशारद ! [वाइविंदभूवाल !] हे वादिवृन्द भूपाल ! [वाइसिरकरालकाल !] हे वादियों के सिर के विकरालकाल! [वाइकयलीकांडखंडणकिवाण] हे वादीरूपी कदलियों को काटनेवाले कृपाण ! [वाइतमत्थोमनिरसणपचंडमत्तंड !] हे वादी रूप अंधकार के समूह को नाश | करनेवाले प्रचण्ड सूर्य ! [वाइगोहूमपेसणपासाणचक्का !] हे वादी रूपी गेहूओं को पिसने के लिए पाषाण चक्र ! [वाइयामघडमुग्गर !] हे वादी रूपी कच्चे घडों के लिए मुद्गर! | [वाइउलूगदिनमणी !] हे वादी रूपी उलूकों के लिए सूर्य ! [वाइवच्छम्मूलणवारण !] | हे वादि-वृक्षों को उखाड फैंकनेवाले गजराज [वाइदइच्चदेववई !] हे वादी रूपी दैत्यों I | के लिए देवेन्द्र ! [वाइसासणनरेस!] हे वादी-शासक नरेश! [वाइकंसकंसारि !] हे
दिकवणनम्
॥४८९॥