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कल्पसूत्रे
सशब्दार्थे -॥४७५॥
थी वे यज्ञ के अनुष्ठान में कुशल थे इन्द्रभूति आदि ग्यारह ब्राह्मणों के अतिरिक्त
Miril सोमिला
भिध अन्यान्य उपाध्याय भी उस यज्ञमे सम्मिलितहुए थे उनमें से कुछ यह है गार्ग्य,
ब्रह्मणस्य हारीत, कौशिक, पैल, शाण्डिल्य पाराशर्य भारद्वाज, बात्स्य सावर्ण्य, मैत्रेय अंगीरस, यज्ञवाटके
समागताकाश्यप, कात्यायन, दाक्षायण, शारद्वतायन, शौनकायन, नाडायन, जातायन, आश्वा- नेक ब्राह्म
णनामानि यन, दार्भायन, चारायण, काप्य, वौध्य, औपमन्यव, आत्रेय, आदि ॥९॥ ____ मूलम् तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स दंसणटुं धम्मदेसणा सवणटुं चउसद्धिं इंदा भवणवइ वाणमंतरजोइसिय विमाणवासिणो देवा य देवीओ य नियनियपरिवारपरिखुडा सव्विड्डीए सव्वजुईए पभाए छायाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दसदिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा समावयंति । ते दळूणं जन्नवाडट्ठिया जन्नजाइणो सव्वे माहणा
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