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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
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भगवान् के साथ अनुकूल आचरण करते हुए उनकी उपासना करने लगे । राजाने anara की मानसिक उपासना इस प्रकार की - प्रभु के मुख से धर्म का उपदेश सुन कर राजा के हृदय में परम वैराग्य उत्पन्न हुआ और धर्मानुराग से प्रेरित होकर वे प्रभु की उपासना करने लगे ।
इसके बाद वे शीलसेना प्रमुख देवियां भी अंतःपुरस्थ स्त्रीभवन के मध्यवर्ती स्नानागार में स्नान करके कौतुक तथा बलिकर्म से निवृत्त होकर, एवं समस्त अलंकारों को धारण कर अनेक कुबडी दासियों से घिरी हुई होकर अंतःपुर से निकलीं, निकल कर जहां अपने २ योग्य अलग २ यान (रथ) रखे हुए थे, वहां पर पहुंची, पहुंच कर उन पृथक २ यानों (रथो) पर, जो भगवान् के दर्शन के लिये जाने के निमित्त पहिले से सज्जित कर रखे हुए एवं बलिवर्द आदिकों से युक्त थे, उसके ऊपर सवार हुई | सवार होकर अपने परिवारों के साथ परिवेष्टित होती हुई वे सब देवियां पावापुरी
सिंहसेन
राज्ञः सपरिवारप्रभुसमीपा
गमनम्
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