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कल्पसूत्रे मन्दार्थ
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यह चौथे महास्वप्न का फल है । ५ भगवान् ने जो श्वेत गोवर्ग ( गायों का झुंड ) देखा, उससे साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविकारूप चार प्रकार के संघ की स्थापना करेगे यह पांचवे महास्वप्न का फल है । ६ पद्मों से युक्त जो सरोवर देखा, उससे भगवान् भवनपति, व्यन्तर, ज्योतिषिक और वैमानिक, इन चार प्रकार के देवों को सामान्य विशेषरूप से उपदेश करेंगे, प्रज्ञापन करेंगे, प्ररूपण करेंगे, दर्शित, निदर्शित तथा उपदर्शित करेंगे, यह छठे महास्वप्न का फल है । ७ भगवान् ने महासमुद्र को भुजाओं से तिरा देखा, उससे आदि तथा अन्त से रहित, चार गतिवाले संसाररूप समुद्र को पार करेंगे यह सातवें महास्वप्न का फल है । ८ भगवान् ने तेज से देदीप्यमान सूर्य देखा, उससे भगवान् को प्रधान, सम्पूर्ण एवं समस्त पदार्थों को जानने के कारण अविकल (कृत्स्न) प्रतिपूर्ण (सकल अंशों से युक्त) सत्र प्रकार की रुकावटों से रहित तथा आवरण रहित केवलज्ञान और केवलदर्शन की प्राप्ति होगी यह आठवें
महास्वप्न का
दशमहा स्वतंफळवर्णनम्
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