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कल्पसूत्रे शब्दार्थे
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देखा, उससे भगवान् शुक्लध्यान में लीन होकर विचरेंगे। यह दूसरे महास्वप्न का फल है । ३ भगवान् ने जो चित्रविचित्र पंखोंवाला पुरुष कोकिल स्वप्न में देखा, उससे भगवान् स्वसिद्धान्त से युक्त बारह अंगों वाले गणीपिटक (आचार्यों के लिए रत्नों की पेटी . के समान आचारांग आदि) का सामान्य विशेष रूप से कथन करेंगे, पर्यायवाची शब्दों से • अथवा नामादि भेदों से प्रज्ञापन करेंगे, स्वप्न से प्ररूपण करेंगे, उपमान उपमेय भाव आदि दिखाकर कथन करेंगे, पर की अनुकम्पा से या भव्यजीवों के कल्याण की अपेक्षा से निश्चय पूर्वक पुनः पुनः दिखलाएँगे, तथा उपनय और निगमन के साथ अथवा सभी नयों के दृष्टिकोण से, शिष्यों की बुद्धि में निश्शंक रूप से जमाएँगे यह तीसरे स्वप्न का फल है । ४ भगवान् ने समस्त रत्नों वाले मालायुगल को देखा, उससे भगवान् गृहस्थधर्म और मुनिधर्म दो प्रकार के धर्म का सामान्य और विशेषरूप से कथन करेंगे, प्रज्ञापन करेंगे, प्ररूपण करेंगे, दर्शित करेंगे, निदर्शित करेंगे और उपदर्शित करेंगे
दशमहास्वप्नफल
वर्णनम्
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