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कल्पसूत्रे
सशब्दार्थे ॥३९५॥
भगवतो. विहारः महास्वप्नदर्शनं च
विचरते थे [तस्स भगवओ कत्थइ न पडिबंधे] भगवान् को कही भी प्रतिबंध नहीं था।
[एवं विहेण विहारेणं विहरमाणस्स भगवओ अणुत्तरेण णाणेण] इस प्रकार के विहार से विचरते हुए भगवान् को अनुत्तर ज्ञान [अणुतरेण दंसणेण] अणु| त्तर दर्शन [अणुत्तरेण तवेण] अणुत्तर तप [अणुत्तरेण संजमेण] अणुत्तर संयम [अणुत्तरेण उटाणेण] अणुत्तर उत्थान [अणुत्तरेण कम्मेण] अणुत्तर क्रिया [अणुत्तरेण बलेण] अणुत्तर बल [अणुत्तरेण वीरिएणं] अणुत्तरवीर्य [अणुत्तरेण पुरिसकारेण] अणुत्तर पुरुषाकार [अणुत्तरेण परकमेण] अणुत्तर पराक्रम [अणुत्तराए खंतीए] अणुत्तर क्षमा [अणुत्तराए मुत्तीए] अणुत्तर मुक्ति [अणुत्तराए लेसाए] अणुत्तर लेश्या [अणुत्तरेण अजवेण] अणुत्तर आर्जव [अणुत्तरेण महवेण] अणुत्तर मार्दव [अणुत्तरेण लाघवेण] अणुत्तर लाघव [अणुत्तरेण सच्चेण] अणुत्तर सत्य [अणुत्तरेण झाणेण] अणुत्तर ध्यान [अणुत्तरेण अज्झवसाणेण] अणुत्तर अध्यवसाय से [अप्पाणं भावे माणस्स बारसवासा
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