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कल्पसूत्रे
शब्दार्थे
॥ ३७२ ॥
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बालत्ति नामेण पसिद्धिं पत्ता ] वही वसुमती चन्दन के समान शीतल स्वभाववाली होने से 'चन्दनबाला' के नाम से प्रसिद्ध हुई ॥५७॥
भावार्थ - भगवान् को आहार पानी का दान देने के पश्चात् 'यही चन्दनबाला श्रमण भगवान् महावीर की सबसे पहली शिष्या होगी' इस प्रकार की घोषणा देवों ने आकाश में की कौन थी यह चन्दनबाला ? जिसके हाथ से भगवान् ने पारणा के निमित्त आहार का दान ग्रहण किया ? उसका परिचय क्या है ? इस बात के 'जिज्ञासुओं' के लिए चन्दनबाला का संक्षिप्त परिचय दिया जाता है - एक समय कौशाम्बी नगरी के राजा शतानीक ने चम्पानगरी के स्वामी दधिवाहन राजा पर अपनी सेना के साथ आक्रमण किया और उसने दुर्नीति का आश्रय लेकर चम्पानगरी को लूटा | राजा दधिवाहन चम्पानगरी में लूटपाट प्रारंभ होने पर भयभीत होकर बाहर भाग गया। तब शतानीक का कोई योद्धा दधिवाहन राजा की धारिणी नामक रानी को
SESSIOeeISODES
चंदनबालायाः
चरित -
वर्णनम्
॥३७२ ॥