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________________ 119 कल्पसूत्रे शब्दार्थे ॥ ३७२ ॥ KOJ बालत्ति नामेण पसिद्धिं पत्ता ] वही वसुमती चन्दन के समान शीतल स्वभाववाली होने से 'चन्दनबाला' के नाम से प्रसिद्ध हुई ॥५७॥ भावार्थ - भगवान् को आहार पानी का दान देने के पश्चात् 'यही चन्दनबाला श्रमण भगवान् महावीर की सबसे पहली शिष्या होगी' इस प्रकार की घोषणा देवों ने आकाश में की कौन थी यह चन्दनबाला ? जिसके हाथ से भगवान् ने पारणा के निमित्त आहार का दान ग्रहण किया ? उसका परिचय क्या है ? इस बात के 'जिज्ञासुओं' के लिए चन्दनबाला का संक्षिप्त परिचय दिया जाता है - एक समय कौशाम्बी नगरी के राजा शतानीक ने चम्पानगरी के स्वामी दधिवाहन राजा पर अपनी सेना के साथ आक्रमण किया और उसने दुर्नीति का आश्रय लेकर चम्पानगरी को लूटा | राजा दधिवाहन चम्पानगरी में लूटपाट प्रारंभ होने पर भयभीत होकर बाहर भाग गया। तब शतानीक का कोई योद्धा दधिवाहन राजा की धारिणी नामक रानी को SESSIOeeISODES चंदनबालायाः चरित - वर्णनम् ॥३७२ ॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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