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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
चदन-- बालायाः चरित| वर्णनम्
॥३६५॥
मार्ग में उसने कहा-'इस रानी को मैं अपनी पत्नी बनाऊंगा [तओ धारिणी देवी तं वयणं सोच्चा निसम्म सीलभंगभएण सयजीहं अवकरिसिय मया] धारिणीदेवी ने उसके यह बचन सुनकर और समझकर शीलभंग के भय से अपनी जीभ बहार खींचली और प्राण त्याग दिये [तं दवणं भीओ सो भडो इमाबि एयारिसं अकज्जं मा करिज ति कटु तं वसुमइं किंचि वि न भणिय कोसम्बीए चउप्पहे विक्कीअ] धारिणी देवी को मरी हुी देखकर वह डरगया और कहीं यह राजकुमारी भी ऐसा ही अकार्य न कर बैठे यह सोचकर उसने वसुमती से कुछ भी न कहा और कोशाम्बी के चौक में लेजाकर बेच दिया [विक्कायमाणिं तं एगा गणिया मुल्लं दाउं किणीअ] बिकती हुई. वसुमती को एक वेश्या ने मूल्य देकर खरीदा [सा वसुमई तं गणियं भणीअ-हे अंब! कासि तं ? केण अटेण अहं तए कीणीया?] वसुमती ने उस वेश्या से कहा -माता, तुम कौन हो ? किस प्रयोजन से मुझे खरीदा हैं ? [सा भणइ अहं गणिया , मम कज्जं
॥३६५॥