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बालायाः
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कल्पसूत्रे I बाला श्रमण भगवान् महावीर की प्रथम शिष्या होगी [का एसा चंदणबाला जीए हत्थेण ।। चंदन. सान्दार्थे भगवओ पारणगं जायं'-ति तीए चरितं संखेवओ दंसिज्जइ-] जिसके हाथ भगवान्
चरितने पारणा के लिये आहार का दान ग्रहण किया वह चन्दबाला कौन थी ? उसका चरित्र ।।) वर्णनम् संक्षेप में दिखलाया जाता है-[एगया कोसंबी नयरीनाहो सयाणीओ णामं राया] एक बार कौशाम्बी नगरी के राजा शतानीक ने [चंपा नयरीणायगं दधिवाहणाभिहं निवं अवक्कमिय दुण्णीईए चंपाणयरिं लुटीअ] चंपानगरी के नायक राजा दधिवाहन पर आक्रमण कर के दुर्नीति से चंपानगरी को लूटा। [दधिवाहणो राया पलाइओ] दधिवाहन राजा भाग गया [तओ सयाणीयरायस्स को वि भडो दधिवाहणरायस्स धारिणी णामं महिसीं वसुमइं पुत्तिं च रहमि ठाविय कोसबि नयइ] तब शतानीक राजाका एक योद्धा राजा दधिवाहन की धारीणी नामक रानी को और वसुमती नामक पुत्री को रथ में विठला कर कौशाम्बी ले चला [मग्गे सो भणइ-इमं महिसिं भज्ज करिस्सामिति] ॥३६४॥