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कल्पसूत्रे सभन्दाथै ॥२४॥
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८ सीता वे भी पूर्वोक्त प्रकार से तीर्थंकर की माता को कहती है कि तुम डरो मत यों तिर्थकरा
भिषेक- . कहकर तीर्थंकर व उनकी माता के पास पश्चिम में तालवृत पंखा] हाथ में लेकर गाती
निरूपणम् हुई खडी रहती है ॥५॥ उस काल उस समय में उत्तर दिशा के रुचक पर्वत पर रहनेवाली यावत् विचरती हैं जिनके नाम-१ अलम्बुषा २ मिश्रकेशा ३ पुण्डरीका ४ वारुणी । ५ हासा ६ सर्वप्रभा ७ श्री और ८ ही वे भी तीर्थंकर की माता को वंदना नमस्कार कर उत्तर दिशा में चामर लेकर गीत गाती हुई खडी रहती है ॥६॥ उस काल उस समय में विदिशा के रुचक पर्वत पर रहनेवाली चार महत्तरिका दिशाकुमारियां यावत् रहती हैं जिनके नाम-१ चित्रा, २ चित्रकनका ३ सतेरा और ४ सुदामिनी वैसे ही यावत् डरना नहीं वहां तक सब कहना वे भगवान् तीर्थंकर व उनकी माता को वंदना नमस्कार कर उनके पास चार विदिशाओं में दीपिका हाथ में लेकर गीत गाती हुई खडी रहती हैं ॥७॥ उस काल उस समय में बीचके रुचक पर्वत पर रहनेवाली चार महत्त- ॥२४॥