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सबम्दार्थे ॥२३॥
तिर्थकराभिषेकनिरूपणम्
और अपराजिता हैं, शेष सब पूर्वोक्त प्रकार जानना यावत् तुमको डरना नहीं ऐसा कहकर तीर्थंकर व उनकी माता के पास हाथ में काच रखकर गीत गाती हुई खडी रहती | है ॥४॥ उस काल उस समय में दक्षिण के रुचक पर्वत पर रहनेवाली महत्तरिका आठ | दिशाकुमारियां यावत् विचरती है तद्यथा-१ समाहारा २ सुप्रज्ञा ३ सुप्रबुद्धा ४ यशोधरा ५ लक्ष्मीवती ६ शेषवती ७ चित्रगुप्ता और ८ वसुंधरा वे भी पूर्वोक्त प्रकार भगवंत की माता को वंदना नमस्कार कर यावत् कहती है कि तुम डरना नहीं हम दक्षिण दिशा की महत्तरिका आठ दिशाकुमारियां तीर्थंकर का जन्म महोत्सव करेगी यो कहकर भगवान् तीर्थंकर व उनकी माता के पास दक्षिण दिशा की तरफ हाथ में झारी लेकर गाती हुई खडी रहती हैं उस काल उस समय में पश्चिम दिशा के रुचक पर्वत पर रहनेवाली आठ दिशाकुमारियां अपने २ आवास में यावत् विचरती हैं जिनके नाम१ इलादेवी २ सुरादेवी ३ पृथ्वीदेवी ४ पद्मावती ५ एकनासा ६ नवमिका ७ भद्रा और
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