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________________ कलपत्रे सचन्दाथै महावीर स्वामी को बहुत उपसर्ग आये। जैसे वहां भगवान् को रूखा सुखा आहार भगवतो लाढदेशमिला। लाट के लोगों ने भगवान् को लट्टी मुट्टी आदि से ताडित किया। प्रभु वीर विहरणम् ।३२०॥ 1 को कुत्तों ने काटा और नीचे पटक दिया। वहां के अधिक लोग तो, 'कुत्ते इस श्रमण । को काटें,' ऐसा सोचकर कुत्तों को छुछुकारते ही थे-काटने के लिए उत्साहित ही करते थे। अधिकांश लोग उस वज्र शुभ्रभूमि में रूक्ष और कठोर बोल ही बोलते थे, और स्वभाव के क्रोधी थे। लाट देश की उस वन भूमि में बौद्ध आदि श्रमण कुत्तों के भय । से बचने के लिए डंडा लेकर और यष्टि अर्थात् अपने शरीर के प्रमाण से चार अंगुली लम्बी लकडी लेकर चलते थे, फिर भी कुत्ते पीछे की तरफ से उन श्रमणों को नोच लिया करते थे। इस कारण यह बात प्रसिद्ध हो गई थी कि लाट देश में ऐसे स्थान !! हैं, जहां चलना बड़ा कठिन है। ऐसे लाट देश में भी जाकर भगवान् ने कभी डंडा नहीं लिया। उन्होंने विचार किया कि डंडा धारण करना साधुओं को कल्पता नहीं है। ? ॥३२॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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